करोना से मौत होने पर परिजनों को बीमा राशि नहीं मिल पा रही है। मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना से मौत का जिक्र ना होने से कंपनियां बीमा राशि देने से इंकार कर रही हैं। नगर निगम के सॉफ्टवेयर में कोरोना से मौत का कोई कॉलम ही नहीं है। ऐसे में प्रमाण पत्र में कोरोना से मौत का जिक्र नहीं किया जा रहा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग भी इस पर मौन साधे हुए है।

बीमा कंपनियों का दावा है कि अस्पताल का मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल करने के बाद बीमा राशि में कोई अड़चन नहीं है। करोना महामारी की चपेट में आने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई। परिजनों को खो चुके लोग बीमा के लिए दावा कर रहे हैं तो उनका मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। उसमें कोरोना से मौत इंगित ना होने पर तमाम अन्य कागजात मांगे जा रहे हैं। जिसकी मौत घर पर हुई है उनके लिए ज्यादा परेशानी हो रही है। बीमा प्राप्ति के लिए नगर निगम में पहुंच रहे लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।
अस्पताल का प्रमाण पत्र होगा मान्य-
एलआईसी के मंडल प्रबंधक एमके जोशी ने बताया कि यदि किसी बीमाधारक की अस्पताल में ही मौत होती है तो एलआईसी म्यूनिसिपल सर्टिफिकेट की जगह डिस्चार्ज समरी, डेथ समरी मानेगी। बीमा का दावा करने के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ रसीद भी होनी चाहिए।

मृतकों की बीमा राशि मिलने में दिक्कत-
- – नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा कोरोना मरीजों के परिजनों को भुगतना पड़ रहा है।
- -सॉफ्टवेयर में कोरोना से मौत होने का कॉलम ही नहीं है।
- -बीमा कंपनियां परिजनों को बिना इसके बीमा राशि देने से इंकार कर रहे हैं।
इसपर डॉ संजय भटनागर का कहना है कि शिकायत मिलने पर निस्तारण किया जाएगा। सॉफ्टवेयर में कोरोना से मृत्यु संबंधी बिंदु ना होने की जानकारी नहीं है।
नगर निगम के अध्यक्ष नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुनील रावत ने कहा कि सॉफ्टवेयर में कोरोना से मौत लिखने का कोई विकल्प है ही नहीं। लिहाजा मृत्यु प्रमाण पत्र में से दर्ज करना संभव ही नहीं है। मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने पहुंचने लोगों को एक प्रोफॉर्म दिया जा रहा है, उसमें यदि वह मौत का कारण कोरोना लिख रहे हैं तो उसे रजिस्टर में दर्ज कर लिया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर उसे कहीं भी दिखाया जा सकता है।