कोरोना की दूसरी लहर से देश की इकोनाॅमी को चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक दो लाख करोड़ की चपत लग चुकी है। यह नुकसान स्थानीय व राज्य स्तरीय लाॅकडाउन से मांग पर विपरीत असर से हुआ है। यह आंकलन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का है। जिसने देश की इकोनाॅमी पर बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कोरोना महामारी के दूरगामी असर की विस्तृत समीक्षा की है। आरबीआई ने कहा कि कोरोना रोधी वैक्सीन बड़ी खोज है लेकिन सिर्फ वैक्सीनेशन से इस महामारी से बचाव नहीं हो सकता। हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी। साथ ही सरकारों को हेल्थ केयर व लाॅजिस्टिक्स में भारी निवेश करने को प्राथमिकता देनी होगी।
रिपोर्ट में इस बात का भी संकेत है कि महंगायी की चिंता भी केंद्रीय बैंक के समक्ष बड़ी है, लेकिन इसके बावजूद ब्याज दरों को लेकर सख्ती नहीं की जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर को 10.5% से घटाकर 9.5% करने से इकोनाॅमी को अब तक दो लाख करोड़ का नुकसान होता दिख रहा है। ये नुकसान ग्रामीण व छोटे शहरों में मांग प्रभावित होने की वजह से मुख्य तौर पर हो रहा है।
यह बात भी मानी गई है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल नुकसान कम है। औद्योगिक उत्पादन और निर्यात के मोर्चे से सकारात्मक सूचनाएं आ रही हैं। देश की इकोनाॅमी में क्षमता है कि वह तेजी से सामान्य हो सकती है। आरबीआई मानता है कि तीसरी लहर की भी संभावना है। इससे बचाव के लिए सतर्कता में कमी नहीं होनी चाहिए। इसे रोकने में शारीरिक दूरी के साथ टीकाकरण जरूरी है।
क्या है कोरोना महामारी के दूरगामी असर-
- कई सेक्टर में वर्क फ्रॉम होम एक बड़ी हकीकत बनेगी।
- ऑफलाइन शॉपिंग की तुलना में ऑनलाइन शॉपिंग की विकास दर बेहद तेज होगी।
- कई बड़े उद्योगों का आकार हमेशा के लिए छोटा हो जाएगा, कई बंद हो जाएंगे।
- डिजिटल टेक्नोलॉजी, बायोमेडिकल साइंस और सतत विकास में मदद देने वाली तकनीक आधारित उद्योगों और कंपनियों में तेज विकास होगा।
कैसे हो रही है इकोनाॅमी की बुनियाद मजबूत-
इकॉनमी की मजबूत बुनियाद के परिणाम दिखने लगे हैं। दूसरी लहर के बावजूद राजस्व संग्रह में वृद्धि हो रही है। चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के शुरुआती ढाई माह में प्रत्यक्ष कर की वसूली पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 100.4 फीसद बढ़ी है। जून के शुरुआती 14 दिनों के निर्यात में पिछले साल समान अवधि के मुकाबले 46.43 फीसद और 2019 में इसी अवधि के मुकाबले 34 फ़ीसदी की वृद्धि रही। 1 से 15 जून तक 1,85,871 करोड़ की प्रत्यक्ष कर वसूली हुई जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 92,762 करोड़ थी। चालू वित्त वर्ष में रिफंड की गई 30,731 करोड़ की राशि को मिला दें तो प्रत्यक्ष कर संग्रह 2,16,602 करोड़ रहा।
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एडवांस टैक्स के रूप में 28,780 करोड़ मिले जबकि पिछले वर्ष की पहली तिमाही में 11,714 करोड़ मिले थे। इस वर्ष अप्रैल में 1.41 लाख करोड़ का जीएसटी संग्रह रहा, जो सर्वाधिक संग्रह है। जून के शुरुआती 14 दिनों में 14.06 अरब डॉलर का निर्यात किया गया, जो पिछले वर्ष समान अवधि में 9.6 अरब डॉलर और 2019 की इसी अवधि में 10.47 अरब डॉलर था। जून के पहले पखवाड़े में पेट्रोल की बिक्री समान अवधि के मुकाबले 13 फीसद तो डीजल की बिक्री 12 फीसद बढ़ी है। जून के पहले पखवाड़े में 55.86 अरब यूनिट बिजली की खपत रही।